SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 723
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ५५४ ) समय सुन्दरकृति कुसुमाञ्जलि चालता साधि पाणी तलाव, ए सहु पुण्य तराउ परभाव । तेत्रीस सह दांतना देवाला, बारह सइ सागना सुविसाला | ५ | संघ मांहे माणस सात लाख, ए सहूना परबंधे साख । सरसती कंठाभरण विरुद्द, चउवीस बोलइ भट्ट सुसद्द | ६ | दल बादल डेरा तंगोटी, फरहर नेजा धजा अति मोटी । सबल आडंबर रायनी रीति, संघ चालइ सहु संतोष प्रीति । ७ । जयत पताका तेत्रीस वार, संग्राम करि नइ पामी सार । एहवी साढ़ा बारह जात्रा कीधी, सेञ्ज संघवी पदवी लीधी । ८ । वि सहू पुण्यवरानी वात, जे द्रव्य खरच्या तेह कहात । तेत्रीसह कोड़ि चउदह लाख अठार सहस आठसइ सहु साख । ६ । त्रिहुं लोहड़िए ऊणा सोनहिया, पुण्यवरइ खरच्याते कहिया । जिण सासण मांहे सोह चड़ावी, बारसइ अठाएँ देवगति पावी । १० । वस्तपाल तेजपाल पुण्य प्रधान, जेह नइ पगि २ प्रगट्या निधान । पुण्य थी पामी तेजम तूरी, दक्षिणवरत संख आसा पूरी | ११ | इम जाणी सहु को वित सारू, धन खरचउ विवहारी वारू । सफल करउ अपण अवतार, जिम तुम्हे पामउ भवनउ पार | १२ | श्री खरतरगछ श्री जिणचंद, शिष्य सकलचंद नाम मुदि । समयसुन्दर पाठक तसु सीस, रास भण्यउ श्री संघ जगीस | १३ | संवत सोल सइ व्यासीया वरपे, रास कीधउ तिमिरीपुरी हरषे । वस्तपाल तेजपाल नऊ ए रास, भणतां सुणतां परम हुलास | १४| इति श्रीवस्तपाल तेजपाल रासः सम्पूर्णः । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy