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________________ वस्तुपाल तेजपाल रास (५५३ ) - बेदीया ब्राह्मण पांचसई ए, वेद भणइ दरबारि । ध.। गछवासी जती सातसइ ए, सूझतउ ल्यइ आहार ।१६। घ.। एक सहस नइ आठसइ ए, विहरइ एकल विहार । ध.। एक हजार तापस वली ए, मठवासी अधिकार ।१७। ध.। परिघल सहु नइ पोखीयइ ए, अन पाणी भरपूर । ध.। दय दयकार दीसइ सदा ए, प्रगव्यउ पुण्य पडूर ।१८। ध.। संघ पूजा वलि कोजीयइ, वरस माहे त्रिण वार । ध.। साहमीवछल कीजीयइ ए, अाभ्रण वस्त्र अपार ।१६। ध.। सेजना संघवी थई ए, साढ़ी बारह जात्र । ध। वस्तपाल तेजपाल करी ए, निरमल कीधा गात्र ।२०। ध। सर्वगाथा २५ दूहउ-२ संवत बार सत्योतरह, पहिली सेञ्ज जात्र । कीधी सबल पडूर सु, ते कहियइ लव मात्र ॥१॥ सर्वगाथा २६ ढाल-त्रीजी तिमरी पासइ वडलु गाम, एहनी ढाल. वस्तपाल तेजपाल बेहु भाई, सेजुञ्ज जात्र नी कीधी सजाई। पांच सहस पांचसइ सेजवाली, वलीय अढारसइ वहिली रंगाली।। सातसइ वलि सिहासन सोहइ, पांचसइ पालखी जन मन मोहह। उगणीस सइ सीकरी अतिसार, चपल तुरंगम च्यार हजार।२। करहलां कोटइ घूघरमाल, बि सहस सोहइ संघ विचाल । जैन गायन च्यार सइ चउरासी, तेत्रीस सइ बंदीजन भासी।३। तेत्रीसइ बलि वादी भट्ट, सातसइ आचारिज गह गट्ट । इग्यारह सइ दिगंबर साध, एकवीस सइ सेतंबर बाध।४। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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