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________________ प्रस्ताव सवैया छत्तीसी (५२१) बखत मांहि लिख्यउ ते लहियइ, निश्चय बात हुयइ हुणहार; एक कहई काछड़ बांधीनई, उद्यम कोजइ अनेक प्रकार । नीखण करमां वाद करंतां, इम झगड़उ भागउ पहुतौ दरबारि; समयसुंदर कहइ बेऊ मानउं, निश्चय मारग नई व्यवहार ।२६। विषम काल अरउ पणि पांचमउ, कृष्ण पाखी पणि जीव घणा; मत चउरासी गच्छ मंडाणा ते पणि ताणा ताणि तणा। संघयण नही मनो बल माठा, चरित्र ऊपरि किहां चालणा; पणि समयसुंदर कहइ खप तउ कीजई पंचाचार पछइ पालखा।३०। आप वखाणई पर नइ निंदइ, ते तउ अधम कह्या नर नारि; सहु को भलउपणि हुं कांई, नहीं इम बोलइ तेहनई बलिहारि। गुण लीजड अवगुण गाडीजइ समकित जू ए लक्षण सारि; समयसुदर कहइ इण अधिकारइं दृष्टांत कयो श्रीकृष्णमुरारि ॥३१॥ देवतउ अरिहंत गुरु सुसाधनइ केवलि भाषित सूधउ धर्म; सूधु सरदहियइ ते समकित जिनसासन नु एहीज मर्म। सात आठ भव माहई सीझइ संजम सुमत प्राणउ भर्ती समयसँदर कहइ सर्व धर्म नउ, मूल एक समकित सुभकर्म ।३२॥ अपणी करणी पारि उतरणी पारकी वात मइ काइ पड़उ; पूठि मांस खालउ परनिंदा लोकां सेती काइ लड़उ । (निंदा म करो कोइ केहनी तात पराई मैं मत पड़उ ) निर्दक नर चंडाल सरीखउ, एहनइ मत कोई आभड़उ; समयसुंदर कहइ निंदक नर नई नरक माहि वाजिस्यइ दड़उ।३३। झूठ बोलइ ते नरकई जायई पड़इ तिहां जई मोटी खाड; Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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