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प्रस्ताव सवैया छत्तीसी
(५१७) कुण जाणइ साचउ कुण झूठउ, पूछ्यउ नही परमेसर पास; सूत्र सिद्धांत अक्षर तउ एहीज, पणि जू जूया थयावचन विलास। रागद्वष किरण अरथ मरोड्या किणही कि अरथ न पीछया तास; समयसुंदर कहइ ए परमारथ सहु को जोज्यो हीयइ विमास । ८ । जे धम करिस्यइ ते निस्तरिस्यइ पणि पारकी को मकरउ बात,
पणी करणी पारि उतरणी, पुण्य पाप आवस्यइ संघात । साची झूठी मन सरदहरणा दीपावइ सहु को दिन रात, समयसुंदर कहइ वीतराग वचनई मिलइ तिका जइ साची वात ।। संका कंखा सांसउ मकरउ कियउ धरम सहु धूडिं मिलई; सउकि मात साचउदीयउ अोखध पणि सांसइंसुत देह गलइ । अमृत जांणि पाणी पणि पीधइ सर्प तणउ विषवेगि टलइ समयसुंदर कहई आस्ता आणी धर्म कर्म कीजइ ते फलइ ॥१०॥ तपां कहई इरियावही पहिली खरतर कहइ पडि कमियई पछइ, मुंहपति आंचलिया गुरु कडुअा,लुंका कहइ जिन प्रतिमान छ।। स्त्रीनई मुगति न मांनइ हुँबड़ एहवा बोल घणा ही अछ। पणि समयसुंदर कहै सांसउ भांजइ, जउ को केवली पासइ गछइ।११। खरतर तपो आंचलिया पासचंद आगमीया पुनमिया सार; कड्डयामती दिगंबर लँका चउरासी गछ अनेक प्रकार । आप आपणउ गछ' थापइसगला खवउं ठोकि आणी अहंकार; समयसुंदर कहइ कह्या ज करउ पणि, भगवंत भाखइ ते श्रीकार ।१२। मोटउ गछ अम्हारउ देखउ माणस बइसई घणां बखांणि; गवे म करि रे मूढ़ गमारा समय समय अणंती हाणि ।
१ मत
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