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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
इंद्रनु लेइ आदेश, आयउ अध्यासीयउ इहाँ; अहमदाबाद आवि, पूछइ कासिमपुरउ किहां । महि वरसाव्या मेह, धान धरती निपजाव्यउ; आणी नदी अथाग', प्रजा लोक धीरज पायउ । गुल खांड चावल गोहुँ तणा, पोठ आणि परगट किया 'समयसुन्दर' कहइ सत्यासीयउ,तुपरहो जा हिव पापीया।२८।
आव्या पोठी ऊँट, धान भरि घना गाडा भरचा खंभाइत भार, आंण्या इहां परठी भाडा। सबल थयउ संग्राम, भिडतउ रण माहे भागउ; सत्यासीयउ सत्त छोडि, लालच करि चरणे लागउ । घी तेल मूंग थाइस घणा, घे मुझनै एतउ दूयउ; 'समयसुन्दर' कहइ सत्यासीया, कहइ पडि रहिस अधम्यउ।२६। अध्यासीयइ इहां वेढि, सजी सत्यासीयइ सेती; सत्यासीया सुणि वात, कहिहिक जाइस केती । इंद्र तणउ ए क्षेत्र, भरत दक्षिण ए भणीयइ; निरपराध नर नारि, हा हा पापी किम हणीयइ । निंदा करइ गुरुनी निपट, दया दान मुकी दिया; पापीया पाप पच्या पछी, मइ क्रतूत माहरा किया ।३०।
१ अतार. २ पोढ. ३ परघलि. ४ ति रिण माहेवलिभागउ. ५ इहां वहिवेढ; हिववेढि.
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