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(४७६ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि कीरति कारण उपगरण मांड्यउ, लाख लोक घरि लँटइ। एक फूदीकउ फड़कउ बांधइ, धरम तणी गांठ खोलइ रे। जी.।। रावल जातउ देवलि जातउ, ऊपरि मारज सहितउ । दोय घड़ी नउ भूखउ रहितउ, सोइ दिन वहि जातउ रे। जी.।६। घरि साम्ही धरमशाला हुँता, वीस विमासण धोवइ । दोय.......
........ जी./७१ पंच अंगुलिया वेल ज पहिरइ, ऊँचउ पहिरइ वागउ । घर परिणी नइ घाट घड़ावइ, निहचइ जासी नागउ । जी.|८ साचौ अखर मस्तक मांडी, बदन कमल मुख दीपड़उ । मारग चालइ सूधइ चालइ, पान फूल मूल कंदो । जी.। ना उतरियइ उठ चलेगो, जु सीचाणउ बंदउ । समयसुंदर कहइ सुणउ रे भाई, धरम करइ तेहनइ वंदो । जी.।१०।
श्री संघ गुण गीतम्
राग-धन्याश्री संघ गिरुयउ रे, श्री संघ गुणे करि गिरुयउ रे। मात पिता सरिखउ हित वल्लभ', किमही करई नहीं विख्यउ रे।श्री.१॥ चंद्र सूरज पथ नगर समुद्र चक्र, मेरु नी उपमा धरुयउ रे। तीर्थकर देवे पणि मान्यउ, दुखिया नउ दुख हरूपउ रे ।श्री.२॥ संघ मिल्यउ करइ काम उलट पट, कनक पीतल रूप तरुयउरे। समयसँदर कहई श्रीसंघ सोहइ, वाड़ी मांह जिम मरुयउरे।श्री.३।
१ वच्छल । २ तिवेइ ते करइ काम।
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