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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
कूल अमूलिक संग थकी,
जिम तेल सगंध कहायो जी ॥१६॥ क.॥ ए नहिं साध सिथल दीसइ घणु,
मूंड मिला पाखंडो जी । एहवी संका मनि आणइ नहीं,
साधु छइ लीजइ खंडो जी ॥१७॥ क. ॥ तरतम जोगइ साध इहां अछइ,
दुपसह सीम महंतो जी । महावीर नउ सासन वरतस्यइ,
एहवी बात कहंतो जी ॥१८॥क. ॥ तुगिया नगरी श्रावक सारिखा, .. आणन्द नउ कामदेवो जी । संख सतक नइ सुदरसण सारिसा,
करणी करइ नित मेवो जी ॥१९॥क ॥ दूसम कालइ संजम दोहिलउ,
दोहिलउ श्रावक धर्मो जी । गुण भीजइ नइ अवगुण गाडियइ,
जिन धर्म नउ ए मों जी ॥२०॥ क. ॥ तप जप किरिया नी जे खप करइ,
कुण श्रावक कुण साधो जी। समयसुन्दर कहइ आराधक तिके,
सफल जनम तिण लाधो जी॥२१॥क. ॥
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