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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
वेर विरोध वाधई घणा रे,
निंदा करतांन गिणइ माय बाप रे। निं०११॥ दूर बलंती कां देखो तुमे रे,
पग मां बलती देखो सहु कोइ रे। पर ना मल मांहि धोयां लूगड़ा रे,
कहो किम उजला होइ रे ।नि०।२। आपु संभोलो सहु को आपणुरे,
निंदा नी मूको परि टेव रे। थोड़े घणइ अवगुणे सहु भरया रे,
केहना नलिया चूये केहना नेव रे । नि०।३। निंदा करइ ते थायइ नारकी रे,
तप जप कीधु सहु जाय रे।। निंदा करउ तउ करज्यो आपणी रे,,
जिम छूटक वारउ थाय रे ।निं०।४। गुण ग्रहजो सहु को तणउ रे,
जेह मां देखउ एक विच्यार रे । कृष्ण परइ सुख पामस्यउ रे, समयसुन्दर कहइ सुखकार रे । नि०।५।
दान गीतम्
राग-रामगिरि जिनवर जे मुगतइ गामी, ते पिण आपइ दान । वरह वरं घोसह जग बच्छल, वरसइ मेह समान ॥१॥
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