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औपदेशिक गीतानि
(४४३)
जिन सासन शिव सासन प्रच्छू, पुस्तक पाना बांचं रे। समयसुन्दर कहइ सांसउ न भागउ, भगवत कहइ ते सांचुरे। क.॥३॥ जग सृष्टिकार परमेश्वर पृच्छा गीतम्
राग-वेलाउल पूछू पंडित कहउ का हकीकत,
आ जगत सष्टि किण कीधी रे। जउ जाणउ तउ जुगति कहउ कोइ,
नहिं तरि ना कहउ सीधी रे ॥ पू०॥१॥ बांभण यांचउ वेद पुराणा,
कोजी बांचउ कुराणा रे । सूत्र सिद्धांत वांचउ जिण शासणि, ...
पणि समझावइ ते सुजाणा रे ॥ पू०॥२॥ जनम मरण दीसइ अति बहुला,
प्राणी सुख दुख पावइ रे। समयसुन्दर कहइ जउ मिला केवलि, तउ सहु विध समझावइ रे॥पू०॥३॥
करतार गीतम् कबहु मिलइ मुझ जउ करतारा, तउ पूछुदोइ बतियां रे। " तू कृपाल कितूं हइ पापी, लखि न सकूँ तोरी गतियांरे।का
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