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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
मन मान्या माणस जउ मेलइ, तउ कि विछोहा पाइ रे। विरह वेदन उनकी ओ जाणइ, रोइ रोइ जनम गमाडइ रे ।का। देवकुमर सरखा पुत्र देइ, अधविच ल्यइ कुंउदाली रे। पुरुष रतन घड़ी घड़ी किम भांजइ, यौवन अबला बाली रे।क०३। जो तूंछत्रपति राजा थापइ, तउ रंक करी कु सलावइ रे। जिण हाथइ करि दान दिरावइ, सो कुहाथ उडावइ रे।क०४। के कहा ईश्वर के कहइ विधाता, सुख दुख सरजन हारा रे। समयसुन्दर कहइ मई भेद पायउ, करम जु हइ करनारा रे।का। दुषमा-काले संयम-पालन गीतम्
'राग-भूपाल हां हो कहो संयम पथ किम पलइ, ए दुषमा काल । किसण पाखी जीव इहां घणा, वलि गच्छ जंजाल ॥१॥ हां हो तप संयम नी खप करउ, जिन आज्ञा निहालि। समयसुन्दर कहइ ध्रम करउ, राग नई द्वष टालि ॥२॥
श्री परमेश्वर भेद गीतम्
राग-सबाब मिश्र एक तुही तुही, नाम जुदा मूहि मूहि । १ ।एक तुही.। बाबा आदिम तुही तुही, अनादि मते तुही तुही। २ ।एक तुही.। पर ब्रह्म ने तुही तुही, पुरुषोचम ते तुही तुही।३।एक तुही.। ईसर देव ते तुही तुही, परमेसर ते तुही तुही।४।एक तुही.।
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