________________
(४०६)
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
खिण विरहर न खमाय खिण,
जीवइ हो जीवइ पाणी विण किम माछली हो॥२॥ हसितइ बोलइ बोल ह०,
ते बोल हो ते बोल थारा मुझ नइ सांभरइ हो। एहवा चतुर सुजाण ए०, ___ कहउ कुण हो कहउ कुण हो कहियउ पूज्य पटंतरइ हो ॥३॥ हेजइ हियडइ भीडि हे,
यह तुं हो धइ तुं हो बांभिसि मीठइ बोलड़इ हो। सबल करइ बगसीस स०, ____ अवर हो अवर हो लाभइ जे बहुमोलड़इ हो ॥४॥ श्री जिनराजसूरींद श्री०,
तूठो हो तूठो हो साहिब सुरतरु सारिखउ हो। समयसुन्दर कहइ एम स०,
परतिख हो परतिख हो दीठउ ए मई पारिखउ हो॥५॥ इति श्रोजिनराजसूरीश्वराणां वियोगनतमये गीतम् ।
श्रीजिनसागरसूर्यष्टकम् श्रीमज्जेसलमेरुदुर्ग नगरे, श्रीविक्रमे गूर्जरे । थट्टायां भटनेर-मेदिनी तटे, श्रीमेदपाटे स्फुटम् ।। श्रीजावालपुरे च योधन गरे, श्रीनागपुयों पुनः। श्रीमल्लाभपुरे च वीरमपुरे, श्रीसत्यपुर्यामपि ॥१॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org