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(४०२ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि चालइ गज गति गेलड़ी, धन ए घड़ी रे;
समयसुन्दर गुरुराज महिमा एवड़ी ।३। श्रा०। (३१) श्री जिनसिंघसूरि-तिथिविचारगीतम
राग-प्रभाती पड़िवा जिम मुनि वडउ साहेलड़ी ए,
बीज बेऊ भ्रम पालइ गुण वेलड़ी ए। त्रीजइ त्रिएह गुपति धरइ साहेलड़ी ए, .
चउथि कषाय च्यार टालइ ॥ गु० ॥१॥ पांचमि व्रत पालइ पांचे साहेलड़ी ए,
छट्टि छजीव निकाय ॥ गु०॥ सातमि भय साते हरइ साहेलड़ी ए,
आठमि प्रवचन माय ।। गु० ॥२॥ नवमि आपइ नवनिधि साहेलड़ी ए,
दसमि दसे भ्रम सार ॥ गु०॥ इग्यारसि अंग इग्यार धरइ साहेलड़ी ए,
बारसि प्रतिभा बार ।। गु० ॥३॥ तेरसि तेर क्रिया तजइ साहेलड़ी ए,
चउदसि विद्या जाण ॥ गु०॥ पुनिमचंद तणी परि साहेलड़ी ए,
सकल कला गुण खाण ॥ गु० ॥ ४ ॥
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