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(४.०)
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
सूरि गुण छत्रीस शोभित, वचन अमत धार । श्री जिन शासन मांहि दिनकर, खरतर गच्छ सिणगार।।जि०। जुगप्रधान सुसीस जगि मई, प्रगटियउ पटधार । समयसुन्दर सुगुरु प्रतपउ, श्री संघ कुं सुखकार ।३। जि०।
(२७)
राग-गउड़ी पंथियरा कहियो एक संदेश। जिनसिंघसरि तुम्हे वेगि पधारउ, इण रो हमारइ देश।।पं.। भगत लोग इतु भाव बहुत हइ, मानत सब आदेस । चंद चकोर तणी परि चाहत, नाम जपत सविशेस ।।पं.। पातिसाहि अकबर तुम माने, जानत लोक असेस । समयसुन्दर कहइ धन्य जीया मेरउ, जब नयणे निरखेस ।।पं.।
(२८)
राग-ललित ललित वयण गुरु ललित नयण गुरु,
ललित रयण गुरु ललित मती री ॥ल०॥ ललित करण गुरु ललित वरण गुरु,
ललित चरण गुरु ललित गतीरी ॥ल०॥१॥ ललित पूरति गुरु ललित सूरति गुरु, ., ललित मूरति गुरु ललित जती री।
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