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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
प्रणमत होत सफल सहगुरु कु,
ध्यान धरत मेरउ चितु हरसइ । सगरु वंदण कुंचलत ही चरण युग,
पतियां लिखत ही कर फरसइ ।२। अं.। श्री जिनसिंहसरि आचारिज,
वचन सुधारस मुखि वरसइ । समयसुंदर कहइ अबहु कृपा करि,
नयण सफल करउ निज दरसइ ।३। अं.।
राग-नट्ट नरायण तुम चलहु सखि गुरु चंदण । श्रीजिनसिंघसरि गुरु दरसण, सब जण कुंआणंदण।१।तु.। पातिसाहि अकबर मण रंजण, वचन सुधारस वंदण । चोपड़ां वंस सुशोभ चडावत, चांपसी साह के नंदण ।२।तु.। तेज प्रताप अधिक गुरु तेरउ, दुरमति दुख निकंदण । समयसुन्दर प्रभु के पद पंकज, प्रणमति इंद नरिंदण ।३। तु.।
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राग-मालवी गउड़ाउ __ आज सखी मोहि धन्यः जीयारी। ५. श्रीजिनसिंघसरीसर दरसण,
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