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( ३३८ )
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
चारित्रियउ चित मां वस्यउ जी,
__ सोवड़ि बाहिर रह्यउ हाथि ॥३॥वी०॥ झवकि जागी कहइ चेलणा जी, .
किम करतउ हुस्यइ तेह । कुसती नइ मन कुण वस्यउ जी,
श्रेणिक पड्यउ रे संदेह ॥४॥वी०॥ अंतेउर परिजालज्यो जी,
श्रेणिक दियउ रे आदेस । भगवंत सांसउ भांगियउ जी,
चमक्यउ चित्त नरेस ॥वी०॥ वीर वांदी वलतां थकां जी,
पइसतां नगर मझार । धुंआ नउ धोर देखी करी जी,
जा जा रे अभयकुमार ॥६॥वी०॥ तात नउ वचन पाली करी जी,
व्रत लीयउ हरषर अपार । समयमुन्दर कहइ चेलणा जी,
पाम्या भव तणउ पार ॥वी० ॥ ७॥
१ पाल्यउ तिहां जी. २ अभयकुमार
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