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( ३३६ )
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
धिग धिग एह संसार नइ,
आवियउ परम वइराग रे। किम प्रतिबंध जिनवर करइ,
ए अरिहंत नीराग रे ॥म. ॥ १२॥ गज चढ्यां केवल ऊपर्नु,
पाम्यउ मुगति नउ राज रे। सुग्नर कोडि सेवा करइ,
__भरत बंद्या जिनराज रे॥म. ॥१३॥ नाभिरायां कुल चंदलउ,
मरुदेवी मात मल्हार रे। समयसुंदर सेवक भणइ,
आपजो शिव सुख सार रे ॥ म. ॥१४॥
श्री मगावती सती गीतम चंद सूरज वीर बांदण आव्या,
निरति नहीं निसदीस । मृगावती तिण मउड़ी आवी,
. गुरुणी कोधी रीस ॥ १ ॥ . मृगावती खामइ बे कर जोड़ि। .... : चंदना गुरुणी हुँ चरणे लागु,
ए अपराध थी छोड़ि ॥मृ०.२॥आंकणी।
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