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समयसुन्दर कृतिक सुमाञ्जलि
स्थूलभद्र गीतम्
थूलभद्र व्यउ रे आसा फली, बोलह कोश्या नारि । प्रीति पनउता पालियड़, हूँ छं दासि तुमारि || १ | धू. । हूं प्रीयुड़ा तुझ रागिणी, तू का हृदय कठोर । चंद चकोर तणी परि मान्यउ तूं मन मोर || २|धू. । साजण सेती प्रीतड़ी, कीजइ धुरि थकी जोइ । कीजियइ त नवि छोड़ियह, कंठ प्राण जां होड़ || ३ | धू. | चउमासुं चित्र सालियर, रह्या मुनिवर राय | नयण गियाले निरखती, कोश्या गीत गुण गाय ॥४॥ थू. । कोश्या वचन सुखी करी, मुनिवर न डोलह । समयसुंदर कहइ कलिजुगर, धूलिभद्र न को
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तोज़ह ॥ ५ धू. ।
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स्थूलभद्र गतिम्
राग - केदारउ गउड़ी
तुम्हे वाट जोवंतां श्राव्या, हूँ जाऊं बलिहारी रे। कहउ मुझनड़ कांइ तुम लाग्यां, हूँ जाऊं बलिहारी रे ॥ १ ॥ इम बोलह कोश्या नारि हुँ जाऊं बलिहारी । एतला दिन क्युं वीसारी, हूं जाऊ बलिहारी ॥ श्र० ॥ वडुं वखत म्हारु जे संभारी, हूँ जाऊ बलिहारी । रहउ चित्रशाली छह तुम्हारी, हु जाऊ बलिहारी रे ॥ २ ॥
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