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( ३१२ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
भमर भमंतां जोई । साजनिया बोलावि पाछा वलतां थकां रे,
धरती · भारणि होइ पी.२। राति नइ तउ नावइ वाल्हा नींदड़ो रे,
दिवस न लागइ भूख । अन्न नइ पाणी मुझ नइ नवि रुचइ रे,
दिन दिन सबलो दुख ।प्री.।३। मन ना मनोरथ सवि मन मां रह्या रे,
___ कहियइ केहनइ रे साथि । कागलिया तो लिखतां भीजइ प्रांसुत्रां रे,
आवइ दोखी हाथि प्री.।४। नदियां तणा व्हाला रेला वालहा रे,
अोछा तणा सनेह । वहता वहइ वालह उतावला रे,
झटकि दिखावइ छेह प्री.।। सारसड़ी चिड़िया मोती चुगइ रे,
चुगे तो निगले कांइ । साचा सद्गुरु जो आवी मिलइ रे,
मिले तो बिछुडइ काई प्री.।६। इण परि स्थूलिभद्र कोशा प्रतिबूझवी रे,
पाली पाली पूरब प्रीति सनेह । ..
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