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________________ श्री मृगापुत्र गीतम् ( २६३ ) जीवित हाथ मई जाइ ॥ मा. ॥३॥ अति सुकुमाज़ | अबला बाल || मा. ॥४॥ तन धन जोवन कारिमुं रे, खि मांहि खेरू थाइ | कुटुंब सहु को कारिमुं रे, दीक्षा छह पुत्र दोहिली रे, तँ त किम करिस्यइ ए कामिनी रे, बापड़ी कारिमि ए छह कामिनी रे, हं शिव रमणी वरीसि । सूर वीर नह सोहिल रे, हुं मृग चरिजा वरीसि ॥ मा. ॥ ६ ॥ माता नउ आदेस ले रे, लीघउ संजम भार । तप जप कीधा करा रे, पाम्यउ भव नउ पार || मा. ||६|| मृगापुत्र मुगति गयउ रे, उतराध्ययन मकार | समयसुन्दर कहइ हूँ नमुं रे, ए मोटउ अणगार ॥ मा. ॥७॥ इति मृगापुत्र गीतम् ॥ ४६ ॥ मेघरथ (शांतिनाथ दसम भव) राजा गीतम् दसमह भव श्री शांति जी, मेघरथ जिवड़ा राय, रूड़ा राजा । पोसहशाला मंद एकला, पोसह लियउ मन भाय, रूड़ा राजा ॥१॥ धन धन मेघरथ राय जो, जीय दया सुख खाण, धर्मी राजा || कणो ।। ईशानाधिप इन्द्र जी, वखाण्यउ मेघरथ राय, रूड़ा राजा । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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