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( २६८ )
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
श्री भवदत्त-नागिला गीत ढाल-साधु नइ वहिराव्यु कडवुतुबड़ा रे । भवदत्त भाई घरि आवियउ रे,
प्रतिबोधिवा मुनिराय रे। . नव परणी मूकी नागिला रे,
. भवदेव वांदइ मुनि पाय रे ॥१॥ अरध मंडित नारी नागिला रे,
__ खटकइ म्हारा हियडला वारि रे । भवदत्त भाइयइ मुंनइ भोलव्यउ,
लाजइ लीधउ संजम भार रे॥२॥ अ०॥ हाथे दीधं घी न पातरु,
मुझनइ आधेरउ बउलावि रे। इम करि गुरु पासि लेई गयउ,
गुरुजी पूछयु संजम नउ छइ भाव रे॥२॥१०॥ लाजइ नाकारउ नवि कर्यउ,
दीक्षा लीधी भाई बहु मानि रे। बार वरस व्रत मांहि रघउ,
हीयडइ धरतउ नागिला नउ ध्यान रे॥४०॥ हा ! हा! मूरिख मई स्युं करचु,
काय पड्यउ कष्ट मझारि रे।
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