SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 454
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धन्ना (काकंदी ) अरणगार गीतम् ( २८५) धन्ना ( काकंदी ) अणगार गीतम् वीर जिणंद समोसरचा जी, राजगृही उद्यान । समवशरण सुरवर रच्यउ जी, बइठा श्री बधमान ॥१॥ जग जीवन वीरजो, कउण तुमारउ सीस । आप तरइ अउर तारवइ जी, उग्र तप धरइ निशदीस । आ.ज.! प्रभु श्रागमन सुणी करी जी, श्रेणिक हरष अपार । प्रभु पय वंदन आवियउ जी, हय गय रथ परिवार ॥२॥ ज०॥ श्रोणिक प्रभु देसना सुणीजी, प्रसन करइ सुविचार । चउद सहस अणगार मंद जी, कउण अधिक अणगार ॥३॥ ज०॥ काकंदी नगरी वसइ जी, भद्रा मात मन्हार । संयम रमणी आदरी जी, जाणी अथिर संसार ॥४॥ ज०॥ छठ तप आंबिल पारणइ जी, उज्झित लियइ अाहार । माया ममता परिहरि जी, देह दीधइ आधार ॥शा ज०॥ सीख दुविध पालइ भली जी, शम दम संयम सार । तपजप प्रमुख गुणे करीजी,अधिक धनउ अणगार ॥६॥ज०॥ धनउ नाम सुणी करी जी, हरख्यउ श्रोणिक राय । त्रिण प्रदिक्षणा देई करी जी, वांदइ मुनिवर पाय ॥७॥ ज०॥ नवमंइ अंगइ ए अछइ जी, धन्ना नउ अधिकार । सोहम सामी उपदिस्यउ जी, जंबू नइ हितकार ॥८॥०॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy