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( २७६ )
समयमुन्दरकृतिकसुमाञ्जलि
श्री जम्बू स्वामी गीतम् नगरीराजगृह माहि वसइ रे, सेठ ऋषभदत्त सार । धारणी माता जनमियउ रे, जंबू नाम कुमार ॥१॥ जीवन जी अमनइ तूं आधार ।। बेकर जोड़ी वीनवइ रे, अबला आठे वार ।। जी.। आंकणी ।। यौवन भर मांहि आवियु रे, मेल्यु वेवीसाल । आठ कन्या अति रूयड़ी रे, पूरवौ प्रेम रसाल || जी.॥ २ ॥ तिण अवसर तिहां आविया रे, गणधर सोहम साम। चतुर चौघुव्रत श्रादरचउरे,कीधउ उत्तम काम।। जी.॥३॥ गुरु वांदी घर आवियउ रे, मांगइ व्रत आदेश। मात पिता परणावियउ रे, जोरे करिय किलेस ॥ जी.॥४॥
आठ कन्या ले पापणी रे, श्राव्यउ निशि आवास । हाव भाव विभ्रम करइ रे, बोलइ वचन विलास ॥ जी.॥५॥ आ जोवन आ संपदा रे, आ अम अद्भुत देह । भोग पनोता भोगवउ रे, निपट न दीजइ छेह ।। जी.॥ ६॥ तन धन यौवन कारमुरे, क्षण मा खेरू थाय । काम भोग फल पाडया रे, दुर्गति ना दुख दाय ॥ जी.॥७॥ प्रश्नोत्तर करि परगड़उ रे, प्रतिबोधी निज नार। प्रभवो चोर प्रतिबूझव्यउ रे, पांच सयां परिवार ।। जी.॥८॥
* दुक्कर । जखि मांहि विणसी जाय।
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