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( २६२ )
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
तिहां राय चिंतइ रे राजियउ, लुब्धो नटवी रे साथ । जो पड़इ नटवो रे नाचतउ, तो नटवी मुझ होथ । क०।६। दान न आपइ रे भूपति, नट जाणइ नृप बात । हूँ धन वंछूरे राय नउ, राय वंछइ मुझ घात । क०।७। तिहां थी मुनिवर पेखियउ, धन धन साधु नीराग । धिक् धिक विषया रे जीवडा,मनि आण्यउ वइराग ।क०।८। संवर भावइ रे केवली, तत्खिण करम खपाय । केवलि महिमा रे सुर करइ समयसुंदर गुण गाय । क०।।।
श्री उदयन राजर्षि गीतम् सिंधु सोवीरइ वीतभउ रे,पाटण रिद्धि समृद्धो रे । राज करइ तिहां राजियउ रे, उदायन सुप्रसिद्धो रे ॥१॥ मोरे कोडड महावीर पधारइ वीतभइरे, तउ हूँ सेवँ पाय ॥०॥ मुगट बद्ध राजा दसे रे, सेवइ बेकर जोड़ो रे।। कुमर अभीचि कला निलउ रे, पूरइ वंछित कोडो रे । २ मो.। एक दिन पोसउ ऊचरचउ रे,वीर जिणंद वखाण्यउ रे। धरम जागरिया जागतां रे, एह मनोरथ पाण्यउरे । ३ मो.। धन धन गाम नगर जिहां रे,विहरइ वीर जिणिंदोरे। धन धन नर नारी तिके रे, वाणि सुणई आणंदो रे । ४ ।मो.। भाग संजोगइ आवइ इहां रे,जिणवर जग आधारो रे।
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