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उपधान गीतम्
( ०४३ )
करम खपाय मुगते गया रे लाल,
धन धन रोहिणी नार हितकारी रे। समयसुन्दर प्रभु वीनवे रे लाल, ___ तप थी शिव सुखसार हितकारी रे। रो।
उपधान ( गुरु वाणो ) गीतम
वाणि करावउ गरु जी वाणि करावउ,
पूज जी अम्हे आया तुम्ह पासि । म्हारा।१। कपूर कस्तूरी परिमल जास,
सखर सुगंध आए घउ वास । म्हारा ।२। आपणइ मुखि मुझ वाचना देयउ,, . मान तणउ लाभ लेयउ । म्हारा ।३। गुरु पग पूजू ज्ञान लिखा,
गीत मधुर. सरि गाऊं । म्हारा ।।। बिहु वीसड़ नी बेबे वाणि,
छकड़ चउकड़ नी एक जाणि । म्हारा।। पांत्रीसड़े अठावीसड़ बिहुतप केरी,
. त्रिण . नवाणि करउ मेरी ।म्हारा ।६। श्रीपूज्य जी नइ वांदूं कर जोडि, ... माल पहिरवानउं मुंनइ कोड़ि ।म्हारा ।७।
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