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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
जिणिंद गुण गनि मन मोयु, जि.
समयसुन्दर प्रभुध्याने मन मोयु।म० । सामान्य जिन विज्ञप्ति गीतम्
राग-केदारउ जगगुरु तारि परम दयाल । जन्म मरण जरादि दुख जल, भव समुद्र भयाल ।११ ज०। हां हुँ दीन अत्राण अशरण, तूं हि त्रिभुवन भुवाल । स्वामि तेरइ शरणि पायउ, कपा नयण निहालि ।२।बा०। कपानाथ अनाथ पीहर, भव भ्रमण भय टालि । समयसुन्दर कहति सेवक, सरणागत प्रतिपालि ३॥ ज० । श्री सामान्य जिन आंगी गीतम्
राग-मारुणी नीकी प्रभु आंगी वणी जो, तांता हो हीयइ हरख न माय। मणि मोतिण हीरे जड़ी, तेजइ हो आंगी झगमगि थाय ।। नी.। बांहि अलिक बहिरखा, काने काने दोय कुण्डल सार । मस्तकि मुगट रयण जड़यउ, हीयडइ हो मोतिण को हार।रानी.। ससि दल भाल तिलक मलउ, नयणे हो नीके कनक कचोल । प्रभु मुख पूनिम चंद्रमा दीपइ, दीपइ हो दरपण कपोल ।३। नी.। मोहन मूरति निरखतां, भागे भागे हो दुख दोहग दूर। समयसुन्दर भगति भणइ, प्रगटे हो मेरे पुण्य पडूर ।४।नी.।
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