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श्री पायजिन दृष्टान्तमय लघु स्तवनम्
(२०१ )
अहपवत्ति करण करि हूँ चल्यउ, - कर्मग्रन्थि थकी पाछउ वल्यउ । मयण निम्मिय दंत करी घणा,
किम. चबायइ लोह तणा चणा ॥२॥ प्रभु तुम्हारी सेव समाचारी,
सयल सजन नंइ शिव सुह करो। तिस्यउ स्वाति नक्षत्रे जलहरू, .. वरसतउ सवि मुक्ताफल करउ ॥३॥ हरि हरादिक देव तणी घणो ।
- भगति कीधी मुक्ति गमन भणी । नवि फलइ जिम जल सिंचावियउ,
उखर खेत्रइ अोदन वावियउ ॥४॥ सगुरु संगे समकित पामियउ,
पणि कुदेव भणी सिर नामियउ । जिस्यो दूध संघाति एलियउ, .... अहव अमृत सु विष भेलियउ ॥शा
प्रभु तुम्हारउ : धर्म लही करी, ....... वलि गमाड़यउ मद मच्छर करी। , . .
. भुवन नायक सुह दायक सही,, .. रयण रांक तणइ छाजह नहीं ॥६॥
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