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________________ श्री देवकापाटण दादा पार्श्वनाथ भासादि (१७७ ) श्री देवका पाटण दादा पाश्र्वनाथ भास देवकइ पाटण दादउ पास,सखी मई जुहारउ म्हारी पूरी आस । दे..१॥ चंदन केसर चंपक कली, प्रतिमा पूजी मन नी रली । दे.।२। जात्र करण संघ आवइ घणा, सनात्र करइ जिनवर तणा : दे.।३। दउलित आपइ दादउ पास, सयमसुन्दर प्रभु लील विलास । दे.।४। इति श्री देवका पाटयण मण्डण दादा पार्श्वनाथ भास ॥२२॥ श्री अमीझरा पार्श्वनाथ गीतम् राग-सारंग भले भेट्यउ पास अमीझरउ ।। नयर वडाली मांहि, देख्यउ प्रभु देहरउ जी ।१पा० । नव नव अंग पूज रचो मन रंगे, निर्मल ध्यान धरउ। भगवंत नी भावना मन भावउ, जिम संसार तरउ जी।। पा० । ईडर संघ सहित यात्रा, हरख्यउ मो हियरउ । समयसुंदर कहइ पास पसायइ, वंछित काज सस्थउ ।३। पा० । श्री शामला पार्श्वनाथ गीतम् राग-भयरव साचउ देव तउ ए सामलउ, अलगउ टालइ जपलउ । सा.।१ पूजा स्नात्र करउसब मिलउ, जन्म मरण ना दुख थी टलउ। सा.।। समयसँदर कहइ गुण सांभलउ, जिम समकित थायइ निरमलउ।३। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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