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( १७८ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
श्री अंतरीक्ष पार्श्वनाथ गीतम्
___राग-बसंत पार्श्वनाथ परतिख अंतरीख,
सकलाप सामी कुण ए सरीख । पा० ॥१॥ श्रीपाल राजा कीधी परीख,
कोढ रोग गयो हुँतो बहु बरीक । पा० ॥२॥ निरधार मूरति नयणे निरीख,
समयसुन्दर गुण गावइ हरीख । पा० ॥३॥ श्री बीबीपुर मण्डन चिन्तामाणि पार्श्वनाथ स्तवन
राग-काफी चिन्तामणि चालउ देव जुहारण जावां । चि०। बीबीपुर मांहइ प्रभु बइठउ, दरसणि दउलति पावां । चि०१॥ केसर चंदन भरिय कचोली, प्रतिमा पूज रचावां । स्यामल मूरति सुन्दर सोहइ, मस्तक मुकुट धरावां । चि०१२। शक्रस्तव आगइ करां साचउ, गुण वीतराग ना गावां। समयसुन्दर कहइ भाव भगति सँ, भावना आपाभावां । चि०।३। श्री भडकुल पार्श्वनाथ गीतम्
राग-वेलाउल भड़कुल भेटियउ हो, पारसनाथ पडूर । भ० । परतिख रूप धरणिंद पद्मावती, परता पूरइ हाजरा हजूर । म०।१।
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