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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
सोम चिंतामणि संपति आपइ,
अचिंत चिंतामणि आस पूरइ मेरे लाल । विश्व चिंतामणि विघ्न विडारइ,
चउगति ना दुख चूरइ मेरे लाल ।२।०॥ मोह तिमिर भर दूर निवारइ,
निरमल करइ प्रकाश मेरे लाल । समयसुंदर कहइ सेवक जन नइ,
परतिख तूठा वाड़ी पास मेरे लाल ।३। च०।
इति श्री वाड़ी पार्श्वनाथ भास २० ।। श्री मंगलोर मंडण नवपल्लव पार्श्वनाथ भास ढाल-राजमती राणी इण परि वोलइ, नेम बिना कुण घूघट खोलइ
नवपल्लव प्रभु नयणे निरख्यउ,
प्रगट्यउ पुण्य नई हियड़उ हरख्यउ॥१॥ वल्लभी भंगे मूरति प्राणी,
मारगि वे अंगुल विलंबाणी ॥२॥ वलीय नवी आवी ते जाणउ,
नवपल्लव ते नाम कहाणउ ॥३॥ मंगलोर गढ मूरति सोहइ,
भवियण लोक तणा मन मोहइ ॥४॥ जात्र करी श्रीसंघ संघाति,
___ समयसुन्दर प्रणमइ परभाति ॥५॥ इति श्री मंगलोर मंडण श्री नवपल्लव पार्श्वनाथ भास ॥१६॥
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