________________
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि श्री नलोल पाश्र्वनाथ भास
राग-धन्यासिरी पद्मावती सिर उपरि, पारसनाथ प्रतिमा सोहइ रे । नगर नलोलइ निरखतां, नर नारी ना मन मोहइ रे॥शाप०॥ भुहरां मांहि अति भली, महावीर प्रतिमा मांडी रे। भगति करउ भगवंत नी, मोक्ष मारग नी ए दांडी रे॥२॥१०॥ लोक जायइ यात्रा घणा, पद्मावती परतां पूरइ रे। समयसुन्दर कहइ जिन बेउ ते, आरति चिंता चूरइ रे ॥३॥१०॥
श्री चिन्तामणि पार्वजिन स्तवन आणी मन सूधी आसता, देव जुहारूँ सासता। पार्श्वनाथ मुझ वंछित पूरि, चिंतामणि म्हारी चिंता चूरि ॥१॥ को केहनइ को केहनइ नमइ, माहरइ मन मंइ तूं हिज गमइ । सदा जुहारू ऊगमते सूरि, चिंतामणि म्हारी चिंता चूरि ।।२।। अणियाली तोरी प्रांखड़ी, जोण कमल तणी पांखड़ी। मुख दीठां दुख जायइ दूरि, चिंतामणि म्हारी चिंता चूरि ॥३॥ वीछडिया वाल्हेसर मेल, वहरी दुसमण पाछा ठेल । तूंछइ माहरउ हाजरउ हजूरि, चिंतामणि म्हारी चिंता चूरि॥४॥ मुझ मन लागी तुम स्प्रीत, बीजउ कोइ न आवइ चीत । करउ मुझ तेज प्रताप पडूरि, चिंतामणि म्हारी चिंता चूरि ॥शा
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org