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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
इसो मंइ अचरज दीठ, जागतो जिणंद पीठ, प्रबल पडूर । समयसुन्दर करो, स्वामी हाजरउ हजूर । से० ॥३॥
(५) राग-आसावरी गउड़ी पारसनाथ तु वारु,एकलमल्ल विराजइ ॥ ग०॥१॥ दसो दिसथी संघ आवइ दिवाजइ, ए प्रभुता प्रभु ताहरइ छाजइ ॥ ग०॥२॥ पूजा स्नात्र करइ प्रभु काजइ, समयसन्दर कहइ सहु नइ निवाजइ ।। ग०॥२॥
(६) गउड़ी पारसनाथ तूं गाजइ, वारु एकलमल्ल विराजई ॥१॥ दिसो दिस थी संघ आवइ दयाल, भय संकट मारग भांजइ ॥२॥ वाजिब ढोल दमामा वाजइ, ए प्रभुता प्रभु ताहरी छाजइ ॥३॥
इति श्री गउड़ी मंडण पार्श्वनाथ भास ।
श्री भाभा पार्श्वनाथ स्तवनम्
(१) राग आसाउरी भाभउ पारसनाथ मंइ भेट्यउ, आसाउलि मांहि आज रे। दुख दोहग दूरि गयां सगलां, सीध्या वेछित काज रे । भा०।१।
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