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(नाल गढ़ालय में जिनकुशलसूरि गुरु मन्दिर के पास चौमुख स्तूप में आपके गुरु सकलचन्द जी की भी पादुका रीहड़ जयवंत लूणा कारित व यु. जिनचन्द्रसूरि प्रतिष्ठित है । (देखें, हमारा बीकानेर जैन लेख संग्रह ग्रन्थ । लेखांक २२८७ । )
२. “सं० १७०५ वर्षे पोष वदि ३ गुरुवारे श्रीसमयसुन्दरमहोपाध्यायानां पादुका प्रतिष्ठिते वादि श्रीहर्षनन्दन गणिभिः।" (जैसलमेर के समयसुन्दरजी के उपाश्रय में)
३. जैसलमेर देवासर दादावाड़ी की समयसुन्दरजी की शाखा में स्तूप पर
श्री जिनायनमः ॥ सं० १८८२ रा मिति आषाढ़ सुदि ५ श्री जैसलमेर नगरे राउल श्री गजसिंहजी विजयराज्ये आचारज गच्छे श्रीजिनसागरसूरि शाखायां भ । जं० । श्रीजिनउदयसूरिजी विजयराज्ये ।। उ० । श्री १०८ श्री समयसुन्दरजी गणि पादुकामिदं । उ । श्री आणंदचंदजी तत्शिष्य पं ।प्र। श्रीचतुरभुज जी ततशिष्य पं०। लालचंद्रे ण कारापितमियं थंभ पादुका शाखा सही २ ।
___ पादुकाओं पर ॥ उ॥ श्री १०८ श्री समयसुन्दर गणि पादुका ।
स्वर्ग स्थान अहमदाबाद में भी चरण अवश्य प्रतिष्ठित किये गये होंगे, पर वे शायद अब न रहे या खोज नहीं हुई।
कवि की प्राप्त लघु कृतियों का यह संकलन हमने अपने ढङ्ग से किया है। सम्भव है उसमें कुछ अव्यवस्था रह गई हो। आभार
इस ग्रंथ को इस रूप में तैयार करने और प्रकाशन करने में हमें अनेक भण्डारों के संरक्षकों और कई अन्य व्यक्तियों से
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