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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
श्री जेसलमेर मण्डण पार्वजिन गौतम जेसलमेर पास जुहारउ। कुशलमरि प्रतिमा प्रतिष्ठी, मांडि जेथि गुभारउ । जे०।१। धन्य जिके नर नारि निरंतर, प्रतिमा देखइ सवारउ । बेकर जोड़ी आगइ बइठी, शक्रस्तव करइ सारउ । जे०।२। तूं साहिब हूँ सेवक तोरउ, दुर्गति दुख निवारउ । समयसुन्दर कहइ इण भव परभव,मुझ आधार तिहारउ। जे०।३।
श्री फलवार्द्ध पार्श्वनाथ स्तवनम् फलवधि मंडण पास, एक करू अरदास । कर जोड़ी करि ए, हरख हियड़उ धरि ए ॥१॥ मई मन धरिय उमेद, यात्रा करूं (९) ध्र वेद । पोष दसमी तणी ए, उत्कण्ठा घणी ए ॥२॥ आज चडी परमाण, भेट्या श्री जग भाण । मन वंछित फल्या ए, दुख दोहग टल्या ए॥३॥ एकल मल्ल अरिहंत, भय भंजण भगवंत । मूरति सामली ए, सपत फणावली ए॥४॥ लोक मिलइ लख कोडि, प्रणमइ बेकर जोडि । महिमा अति घणी ए, पास जिणंद तणी ए ॥५॥
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