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________________ पार्श्वनाथ अनेक तीर्थनाम स्तवन श्री पार्श्वनाथ अनेक तीर्थ नाम स्तवन राग - सोरठ हो जग मंह पास निणंद जागर । साच देव प्रगट जिन शासन, भेटतां दुख भाजइ । हो जग० । पास सेवक थिर थापड़, अजाहरउ नाम चंछित पड़, कलिकुंड दुख कापड़, अमीर अप्सर आलापड़ | जावड़ पाष जीराउल रह जापड़, पंचासरउ पास प्रकट प्रखापड़, वाड़ीपुर जस व्यापड़ || हो जग मंह पास जिणंद जागइ | १ | महिमा घणी मुलताई, जेसलमेर जगत सहु जागर, चारू वरकाrs, जागती ज्योति नगर जोधाण | अंतरीख अचरज चित राह, परतिख गउड़ी पुण्य प्रमाणइ, पालपुर पहिचाes || हो जग मई पास जिणंद जागइ |२| हमीरपुर रावण करहेड़, नागद्रह नरन्याय निमेड़, फलवर्द्धि दुख फेड़इ, तिमरीपुर सुख संपति ते । नवखण्ड मुक्ति पंथकर नेइ, आरास आरति उथे, षट् खंड जस खेड़इ ॥ हो जग मई पास जिणंद जागर | ३ | कलि मांहि पास कुशल वेलिका छौ तेवीस नाम जपत दुख पाछौ, पाप गमउ पाछौ अरिहंत देव ध्यान धरउ छौ । वामदेवी मात तउ वाउ मन सूधे प्रभु सेवा जल माछाउ, कहइ समयसुन्दर काछउ || हो जग मंत्र पास जिणंद जागर | ४ | Jain Educationa International ( १४३ ) For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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