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समयमुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
राजुलाई पियु पास, सं.ल लियु सुविलास । इम फसउ साहुनी श्रास, भण्इ समयसुन्दर भास ॥१४॥
श्री. नेमिनाथ गीत
राग-केदारउ काइ, प्रीति तोड़इ.:हां नेमि जी हु तोरी रागिणी। अष्ट भवन कउ तूं. मेरऊ साहिब,
बिन, अपराध कहां अब छोरइ । हां।।ने। मेरे मनि तुही तेरे मनि कछु नहीं,
तउ कीजइ कहां प्रीति जोरइ । समयसुन्दर प्रभु आणि मिलावउ,
जउ मानइ कब कीनइ निहोरइ ।हां ।।ने।
श्री नोमनाथ गीतम
राग-देसाख देखउ सखि नेमि कत आवइ, चिहुं दिशि चामर दुलावइ । दे। नील कमल दल सामल मूरति, सूरति सबहि सुहावइ । देश जय जयकार जपति सुरासुर, हरि रमणी गुण गावइ । सीस समारि पुहप कउ सेहरउ, शिवादेवि भामण भावइ । दे०।२। राधा रुकमणी:पसि बसि नंदन, चंदन अंगि लगावइ । समयासुन्दरकहर जो लिन ध्यावई; सो शिव पदवी पाबइ। दे०१३॥
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