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नोमनाथ-गीत
( १२३).
श्री नेमिनाथ-गीता
राग--मुलतानी धन्याश्री तोरण थी रथ फेरि चले, रथ फेरि चले दोष पशु दे जात। प्यारउ लेहु मनाई, मुगति वधू मन मई वसी,
मन मईवशी हमर्हि रहे विललात । प्या०।१॥ हा जादव तंइ कहा किया तइ कहा किया,
नव भवः तोर्यउ नेहा । प्या। लाल मोहन बिन क्युरहुं बिन क्यु रहे।
विरह संतापद देहग प्या।। राजुल पिउ संग प्रावि मिली हां आई मिली,
ऊजला गढः गिरनार । प्या। . समयसुन्दर गणि इम भणइ गणि इम भणह,
नेमि सुदा सुखकार । प्या० ॥३॥
श्री नेमिनाथ गीत
राग-केदारा गौडी मोकु पिउ विन क्यु सखि रयणि विहाह । मोर किशोर बप्पीहा बोलत, खिणं खिण विरह जगाई।१।मो गुनह नहीं सीख कोउन मेरा, यदुपति गए क्यों रिसाई। जाण्यउरी मरम मुगति वधु मोहइ, दाप पशु दे जाईरामो
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