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________________ नेमिजिन स्तवन (११५) जल सरिखा हुवे जेहा नेम सुपियारा हो। आपटणु आपणि सहै सुपियारा हो, दूध न दाभण देय नेम सुपियारा हो॥२॥ ते गिल्या गुणवंत जी सुपियारा हो, चंदन अगर कपूर नेम सुपियारा हो । पीड़ता परिमल करै सुपियारा हो, ____ आपइ आणंद पूर; नेम सुपियारा हो ॥३॥ मिलतां सुमिलीयै सही सुपियारा हो, जिम बापीयड़ो मेहा नेम सुपियारा हो। पिउ पिउ शब्द सुणी करी सुपियारा हो, __आय मिले सुसनेह; नेम सुपियारा हो ॥४॥ हूँ सोनी नी मुंदड़ी सुपियोरा हो, तूं हिव हीरो होय; नेम सुपियारा हो। सरिखइ सरिखउ जउ मिलइ सुपियारा हो, तउ ते सुंदर होय; नेम सुपियारा हो ।। ५ ।। नव भव न गिण्यउ नेहलउ सुपियारा हो, धिक धिक् ए संसार नेम सुपियारा हो। समयसुन्दर प्रेभु कू मिली सुपियारा हो, राजुल ल्यै व्रत सार; नेम सुपियारा हो ॥६॥ श्री नेमिनाथ राजिमती गीतम राग-परजियउ नेम जी रे सामलियउ सोभागी रे, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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