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________________ समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि नेमजी वान नियउ वयरागी रे | ने० | १ | हूँ भव भव की दासी रे ने० हूँ०, नेमजी क्युं करत उदासी रे | ने० |२| तू भोगी त हूँ भोगिणी रे ने० तूं ०, मी तू योगी तर हूं योगिणी रे | ने० | ३ | तूं छोड़ तर हूँ छोड़ रे ने० तू०, नेमजी कतुयारी ज्यु' हूँ जोडूं रे | ने० |४| नेमि राजीमती तारी रे ने० ने०, नेमजी समयसुन्दर कहइ हूँ वारी रे | ने० |५| ( ११६ ) नेमिनाथ गीतम नेमिजी सुजउ रे साची प्रीतड़ी, तउ सुरौं अवरां प्रीतो रे । गुणवंत माणस सेती गोड़ी तउ सुं' निरगुण रीतो रे | १| ने० | भाग संजोग रे अमृत पीजियइ, तर कुण पीवड़ नीरो रे । धावल कांबल धुंस को नहीं, जउ पामीजइ चीरो रे | २ | ने० | मीठी द्राख चारोली चाखवी, नींबोली कुण खायो रे । रतन अमूलख चिंतामणी लही, काच ग्रहण कुण जायो रे | ३ | ने० | राजुल कहइ सखि नेम सुहामराउ, मुझ मन मान्यो एहो रे । हनिशि रहना गुण मन मांहि वस्या, अवरां केहउ नेहो रे | ४ | ने० | राजुल उज्जल गिरि संयम लियउ, जपतां पिउ पिउ नेमो रे । समयसुन्दर कहइ साचउ एहत, अविहड़ बिहुं नउ प्रेमो रे || ने० | Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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