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शान्तिजिनगीतम्
(१०६ )
भी शान्ति जिन स्तवनम् सुखदाई रे सुखदाई रे,
सेवो शांति जिणंद चित लाई रे । सु०। प्रभुनी भगति करू मन भावइ रे,
म्हारा अशुभ करम जावइ रे। एहवा भवियण भावना भावइ रे,
मन पंछित ते सुख पावह रे । सु०।१। चारू केसर चंदन लीजइ रे,
प्रभु नी नव अंग पूजा रचीजइ रे। पुष्पमाल कंठे ठवीजइ रे,
मानव भव सफल करीजइ रे। सु० १२१ प्रभु मंइ काल अनंत गमायउ रे,
हिवणांतू पुण्य संयोगइ पायउरे। तारे चरण कमल चित्त लायउ रे,
सामी हूँ तुम शरणइ श्रायड रे। मु० ३। हिव वीनतडी एक अवधारउ रे,
प्रभु शरणागत साधारउ रे । दुरगति ना दुख निवारउ रे,
भव सागर पारि उतारउ रे । सु०१४।। श्री शांति जिणेसर सामी रे,
नित चरण न सिरनामी रे।
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