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समयसुन्दरकृति कुसुमाञ्जलि
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पगि घूघरड़ी घमतां करतउ, इक दिन आणि यावर रे । मरुदेवी माता हियड़ भीड़ी, श्राणंद अंगि न भावइ रे । रू०|२| खोइ मोर तूं कदे न खेलइ, सुर रमणी संग भावइ रे । पुत्र मो दूध कदे न पीयइ, तोरी मावड़ी किम सुख पावइ रे | ३ | सोभागी सहु नइ तूं वाल्हर, हरखइ मां हुलरावर रे । रिषभदेव तथा मन रंग, समयसुन्दर गुण गावइ रे । रू०|४|
सिन्धी भाषामय श्री आदि जिन स्तवनम्
मरुदेवी माता इवें ख, इद्धर उद्धर कितनुं भाखइ । आउ साइकोल ऋषभ जी, श्रउ असाढ कोल । १ । मिट्ठा बे मेवा तै कु देवा, श्राउ इकट्ठे जेमण जेमां । लावां खूब चमेल ऋषभ जी, आउ साड़ा कोल । २ । कसबी चीरा बांधू' तेरे, पहिरण चोला मोहन मेरे । कमर पिछेवड़ा लाल ऋषभ जी, घाउ असाड़ा कोल । ३ । काने केवटिया पैरे कड़िया, हाथे बंगा जवहर जड़िया । गल मोतियन की माल ऋषभ जी, आउ साड़ा कोल । ४ । बांगा लाटू चकरी चंगी, अजब उस्तादां बहिकर रंगी । श्रांगण असा खेल ऋषभ जी, आउ असाड़ा कोल । ५ । नयण वे तैंडै कजल पावां, मन भावदंडा तिलक लगावां । रुठड़ा कैदे कोल ऋषभ जी, आउ असाड़ा कोल । ६ ।
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