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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
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॥ कलश ॥ इम चैत्य चौवीसटौ अविचल, श्री बीकानेर विराज ए। श्री संघ आणंद उदयकारी, भव तणा दुख भाज ए॥ संवत सोलइ त्रेयासीया, तवन कीधउ मगसिरै . कहइ समयसुन्दर भणइ तेहना, मन वंछित (कारज) सरह ।१५।
श्री विक्रमपुर आदिनाथ स्तवन श्री श्रादीसर भेटियउ, प्रह ऊगमतइ सरो जी। दुख दोहग दुरि टल्या, प्रगव्यउ पुण्य पडूरो जी ॥१॥ श्री। अदबुद मूरति अति भली, जोतां त्रिपति न थायो जी। सेव॒ञ्ज तीरथ सांभरइ, आदीसर जिणरायो जी ।२। श्री। जिम सेवञ्जगिरि जागतउ,मूलनायक श्रादिनाथो जी। जिम गिरनारइ गाजतउ, अदबुद शिवपुर साथोजी ।।श्री। गणधर वसही गुण निलउ, जिम प्रभु जेसलमेरो जी। नगरकोट प्रभु निरखंता, आणंद हुय अधिकेरो जी।४।श्री०। अष्टापद जिम अरचियइ, भरत भराया बिंबो जी। ग्वालेरइ गरुयडि निलउ, बावन गज परलंबो जी शनी आबू आदीसर नमू, विमल मंत्रि प्रासादो जी। माणिकदेव दक्षिण मांहे, समर पछइ प्रभु सादो जी।६। श्री।
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