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________________ ( ८४ ) समय सुन्दर कृतिकुसुमाञ्जलि पंचाभिगम विधि सु करू, शक्रस्तव सूधो उच्चरू । जयवीयराय कहता कर्म कटै, देव जुहारू गउवीसटै । ५ । प्रभु आागल भावु भावना, केवल मुगति तणी कामना । अंग अंग आणंद ऊलटै देव जुहारू चउवीसटै । ६ । श्रावक स्नान पूजा करै, भगवंत ना भगते भव तरै । नृत्य करै नाचै फिरगटै, देव जुहारू चउवीसटै | ७ | पाषाण नै वलि पीतल तणी, गुंभारै प्रतिमा अति घणी । मै सहु ए को पि भटइ, देव जुहारू चउवीसटै । ८ । मातर मांडी डावै पास, मां हुलरावै पुत्र उलासि । तप पहुँचाड़ भव नै तटै, देव जुहारू चउवीसटै । ६ । जिनदत्तसूरि कुशलसूरि तणी, सुंदर मूरति सुहामणी । दुख जायै प्रणम्यां दहवटै, देव जुहारू चउवीसटै | १० | संख शब्द झालर भणकार, घणावली घंटा रणकार । कानि सुणि रूकटै, देव जुहारू चउवीसटै । ११ । ate पंत देहर नहीं भींति, राजै कांगरा रूड़ी रीति । सखर समारचा सेलावटे, देव जुहारू चौवीसटै | १२ | दंड कलश ध्वज लहकै वली, कहै मुगति थई सोहली । मिथ्यामति दूरे श्राछटै देव जुहारू चौवीसटे | १३ | श्री बीकानेर समौ नीपनौ, सोहइ जिम मोती सीपनौ । पूरब रात न का पालटै, देव जुहारू' चौवीसटै | १४ | Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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