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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
( ८३ )
खरतर वसही खांत सुरे लाल,
निरखंता सुख थाय मन मोघउ रे। पांच प्रासाद बीजा वली रे लाल,
जोतां पातक जाय मन मोघउ रे ।।रा। संवत सोल बिहुतरइ रे लाल,
मगसिर मास मझारि मन मोह्यउ रे। राणपुरइ जात्रा करी रे लाल,
समयसुन्दर सुखकार मन मोबउ रे ।७। रा०। इति श्री राणपुर तीरथ भास ।।३।।
बीकानेर चौवीसटा
चिन्तामाण आदिनाथ स्तवन भाव भगति मन पाणी घणी,समकित निरमल करवा भणी। बीकानेर तणइ चउहट, देव जुहारू चउवीसट।१। पावड़ शाला पूंजी चढू, हिव हुँ नरक गति नवि पडू। दीठा पुण्य दशा परगटै, देव जुहारू चवीसट। २। निसही तीन कहूं तिरह ठोडि, जेहवइ सूरज काढई मोडि। पाप व्यापार न करवो घटै, देव जुहारू चउवीसटै।३। भमती माहे भमूमन रली, तिरह प्रदिक्षणा देऊ वली। देखे अजयणो नो अोहट, देव जुहारूँ चउवीसटै।४।
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