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( २ )
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
श्री राणपुर आदिजिन स्तवन
ढाल-रिषभ जिनेसर भेटिवा रे लाल राणपुरइ रलिग्रामणउ रे लाल,
श्री आदीसर देव मन मोबउ रे। उत्तंग तोरण देहरउ रे लाल,
निरखीजह नितमेव मन मोबउ रे ।शरा०। चउवीस मंडप चिहुं दिसइ रे लाल,
चउमुख प्रतिमा च्यार मन मोबउ रे। त्रैलोक्य दीपक देहरउ रे लाल,
समवडि नहिं को संसार मन मोबउ रेशरा। दीठी बावन देहरी रे. लाल,
मांड्यउ अष्टापद मेर मन मोबउ रे। भलु रे जुहारचउ मुंहरउ रे लाल,
सूतां उठि सबेर मन मोघउ रे।३। रा० । देश जिणइ ए देहरउ रे लाल,
मोटउ देस मेवाड़ मन मोह्यउ रे। लाख निवाणु लगाविया रे लाल,
धन धरणउ पोरवाड़ मन मोघउ रे।४। रा०॥ आज कृतारथ हुं हुयउ रे लाल, ___ आज भयउ आणंद मन मोबउ रे। मात्र करी जिनवर तणी रे लाल,
दुरि गयउ दुख दंद मन मोबउ रे।शरा।
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