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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
जिम ए तीरथ जागता, तिम ए तीरथ सारो जी। मारुयाडि मांहे बड़उ, सेत्रुञ्ज नउ अवतारो जी ७श्री०। संवत सोल बासठि समइ, चैत्र सातमि वदि जेहो जी। युग प्रधान जिणचंद जी, बिंब प्रतिष्ठ्या हो जी।।श्री०। मूलनायक प्रतिमा नमू, आदीसर निसदीसो जी। सुंदर रूप सोहामणा, बीजा बिंब चालीसो जी।।श्री। नाभिराया कुल चंदलउ, मरुदेवी मात मल्हारो जी। वृषभ लांछन प्रभु वांदियइ, मन वंछित दातारो जी ।१०। श्री०। एहवा आदि जिणेसरू, विक्रमपुर सिणगारो जी। समयसुन्दर इम वीनवइ, संघ उदय सुखकारो जी ।११। श्री।
इति श्री विक्रमपुर मंडण अदबुद आदिनाथ स्तवनम् । गणधर वसही ( जेसलमेर ) आदिजिन स्तवन
१ ढाल-गलियारे साजन मिल्या प्रथम तीर्थकर प्रणमियै हुँ वारी,
आदिनाथ अरिहंत रेहुं वारी लाल। गणधर वसही गुण निलो हुं वारी,
भय भंजण भगवंत रे हुं वारी लाल । प्र० ॥१॥
२ ढाल-अलबेला नी सच्चू गणधर शुभमती रे लाल,
जयवंत भवीज जास मन मान्या रे।
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