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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
आज सफल दिन माहरउ मन मोह्यउ रे,
जात्रा करी सुखकार लाल मन मोबउ रे ॥८॥ दुरगति ना भय दुख टल्या मन मोह्यउ रे, .
पूगी मन नी आस लाल मन मोह्यउ रे । समयसुन्दर प्रणमइ सदा मन मोह्यउ रे,
सेत्रुञ्ज लील विलास लाल मन मोह्यउ रे ॥६॥ इति श्री सेत्त तीरथ आदिनाथ भास ॥५॥
आलोयणा गर्भित श्री शत्रुञ्जय मण्डन आदिनाथ स्तवन
बेकर जोड़ी वीनवू जी, सुणि स्वामी सुविदीत । कूड कपट मूकी करी जी, बात कहूँ आप वीति । १। कृपानाथ मुझ वीनति अवधार ॥ आंकणी ॥ तू समरथ त्रिभुवन धणीजी, मुझ नई दुत्तर तार । २।०। भवसागर भमतां थकां जी, दीठा दुख अनंत । भाग संजोगे भेटिया जी, भय भंजण भगवंत । ३ । कृ०। जे दुख भांजइ आपणा जी, तेहनइ कहियइ दुःख । पर दुख भंजण तूसुण्यउ जी, सेवक नइ यो सुख । ४ । कृ०।
आलोयण लीधां पखइ जी, जीव रुलै संसार । रूपी लक्ष्मणा महासती जी, एह सुण्यउ अधिकार । ५ । कृ०।
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