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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
श्री शत्रुजय आदिनाथ भास
चालउ रे सखि शेत्रञ्ज जइयइ रे
तिहां भेटीई रिषभ जिणंद रे। नरग तृयंच गति रुधीयइ रे,
मुझ मनि अति परमाणंद रे । चा०॥१॥ पालीताणइ पेखियइ रे,
रूड़ी ललित सरोवर पालि रे। सेत्रुञ्ज पाज चडीजियइ रे,
विमला नयण निहालि रे।चा०।२। जगगुरु आदि जिणेसरू रे,
मरुदेवी मात मल्हार रे। रायण रूख समोसरया रे,
प्रभु पूरब निवाणु वार रे । चा०॥३॥ त्रेवीस तीर्थकर समोसर्या रे,
इण मुगति निलइ निरकंख रे। पांच पांडव शिव गया रे,
इम मुनिवर कोड़ि असंख रे।चा०।४। देखू चिहुं दिस देहरी रे,
रायण तलि पगलां जुहारि रे।
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