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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
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(२) मनडु अष्टापद मोयु माहरु रे,
हूँ नाम जp निशदीस रे। चत्तारि अठ दस दोय नमुरे,
चिहुं दिशि जिन चउवीस रे ।१।म। जोयण जोयण आंतरइ रे,
__पावड़सालां आठ रे।। आठ जोयण ऊँचो देखतां रे,
दुःख दोहग जायइ नाठि रे ।। म भरत कराव्यउ भलउ देहरउ रे,
सउं भाई ना धुंभ रे। आप मूरति सेवा करइ रे,
जाणे जोइयइ ऊभ रे।३।म। गौतम स्वामि चढ्या इहां रे,
आणी भागीरथ गंग रे। गोत्र तीर्थकर बांधव्यउ रे,
रावण नाटक रंग रे।४।म०! दैव न दीधी मुनई पांखड़ी रे,
कहउ किम जाउं तिण ठाम रे। समयसुन्दर कहै माहरउ रे,
दूरि थकी परणाम रेशम० इति श्रीअष्टापद तीरथ भास ॥११॥
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