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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
सगर तणे मुत खाई खणावी,
भगति दिखाड़ी भूरि मेरे लाल । इण गिरि गंग भागीरथ प्राणी,
पाखलि जल भरपूर मेरे लाल । मो०।२। रिषभदेव तिहां मुगति पहुंता,
भरत कराव्या धुंभ मेरे लाल। सुरनर किन्नर नई विद्याधर,
सेवा सारइ ऊभ मेरे लाल । मो०।३। जोयण जोयण पावड शाला,
आठ जोयण ऊंचाति मेरे लाल । गौतम सामि चढ्या जिहां लवधि,
अवलंबि रवि कांति मेरे लाल । मो०।४। संवत सोल अठावना वरसे,
अहमदावाद मझारि मेरे लाल । सुणि सखी अष्टापद मंडाव्यउ,
मनजी साह अपार मेरे लाल । मो०। ५। ते अष्टापद नयणे निरख्यउ,
सीधा वांछित काज मेरे लाल । समयसुन्दर कहे धन्न दिवस ते,
तिहां भेटू जिनराज मेरे लाल । मो०।६।
इति श्री अष्टापद तीरथ भास ॥१०॥
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