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( ६० ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि आबू आदीसर वरकाणइ,
जीराउलि गउड़ी प्रभु पास । साचउरउ वर्धमान जिणेसर,
प्रणमंता पूरइ मन श्रास ।।प्र। भुवनपति व्यंतर नइ ज्योतिषि,
वेमाणिक नरलोक मझारि । जे जिणवर तीर्थकर प्रतिमा,
प्रणमति समयसुन्दर सुखकार ।१०प्र०।
इति श्री तीर्थमाला भास १३। [प्रसिद्धतीर्थस्थिततीर्थकरप्रतिमागीतम् ]
तीरथभास सखि चालउ हे, सखि चालउ हे चतुर सुजाण,
भावइ हे, आपे भावइ हे तीरथ भेटस्यां। सखि करस्यां हे, सखि करस्यां हे जनम प्रमाण,
दुरगति हे, आपे दुरगति ना दुख मेटस्यां ॥१॥ लि से अ है, सति सेञ्ज नीरच सार,
हिलु हे, आये लुहिएर जुहारस्य । अखि पछइ हे, सखि पछइ हे करिय प्रणाम,
बीजा है, आपे बीजा बिंब संभारिस्यां ॥२॥ सखि वारू हे, सखि वारु हे गढ गिरनारि,
ऊँचा है, आपे ऊँचा हे टूक निहालस्यां!
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